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मन की बात

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  • सरकार की बेचैनी का कारण उसकी आलोचना में आम आदमी का शामिल होना है...सरकार की बेचैनी का कारण उसकी आलोचना में आम आदमी का शामिल होना है...

    सरकार की बेचैनी का कारण उसकी आलोचना में आम आदमी का शामिल होना है...

    अंततः 31 मई को रिटायर होने के कुछ घंटे पहले केंद्र के गृहमंत्रालय ने बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय को वह कारण बताओ नोटिस थमा दिया जिसका इंतजार बंदोपाध्याय और ममता बनर्जी के साथ साथ बंगाल के मामले में रूचि रखने वाले प्राय: सभी कर रहे थे| जैसा कि सभी जानते हैं कि उसके पहले केंद्र सरकार ने उन्हें ट्रांसफर करके दिल्ली बुलाया था| जब अमित शाह के गृह मंत्रालय के उस आदेश का पालन नहीं हुआ तभी यह स्पष्ट हो गया था कि अब उन्हें प्रधानमंत्री की बैठक से अनुपस्थित रहने के लिये नोटिस थमाया जायेगा| जाहिर है यदि वे कोई उपयुक्त कारण नहीं बता पाये तो उनके ऊपर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन में बाधा डालने की धारा में कार्यावाही होगी और जिसकी सजा जुर्माना अथवा जुर्माना के साथ दो साल तक के कारावास की हो सकती है| यह भी हो सकता है कि मामला न्यायालय की शरण में जाने तक राष्ट्रद्रोह का मामला भी बन जाये| जो लोग केंद्र की इस सरकार के कार्य करने के तौर-तरीकों पर बारीकी से नजर रखते हैं वे अच्छी तरह जानते हैं कि राजनीति, प्रशासन से लेकर सामाजिक परिस्थितियों तक का ऐसा कोई भी पहलू नहीं है जिसमें लोकतंत्र के ज़िंदा बचे रहने की कोई भी संभावना अब शेष रही हो| देश में लोकतंत्र न तो बीमार है, न ही आक्सीजन या वेंटिलेटर पर है, लोकतंत्र मृत है उसमें सांस ही नहीं है|

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  • एक कवि के नाम पाती.... एक कवि के नाम पाती....

    एक कवि के नाम पाती....

    कल तक बजा रहा था जो मंजीरा

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  • तब ये प्रश्न उठना जायज है...मरा कौन है? तब ये प्रश्न उठना जायज है...मरा कौन है?

    तब ये प्रश्न उठना जायज है...मरा कौन है?

     

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  • मेरे मन की बात सुनो मेरे मन की बात सुनो

    मेरे मन की बात सुनो

    अब ऐसा तो नहीं है की मन की बात करने पर किसी का कोई कॉपी राईट हो। ये तो मन की बात है। कोई कहानी या कविता या उपन्यास तो है की नहीं कि भाई आपने मेरा लिखा चुरा लिया है। मैं अब आपके ऊपर मुकदमा दायर करूँगा. वैसे भी मन की बात सिर्फ मन की बात होती है। कोई काम की बात तो नहीं कि इसके पीछे झगड़े होने लगें कि न पहले मैंने की थी तूने नहीं और सामने वाला कहे कि नहीं तूने नहीं पहले मैंने की थी। वैसे मन की बात होती बड़ी अच्छी है। मन की बात की आड़ में आप मनगढ़ंत बात भी कर सकते हैं और यदि आपकी पूछ परख अच्छी है तो मनगढ़ंत बात को सच साबित करने के लिये गवाह भी जुटा सकते हैं। वैसे बातें दो ही प्रकार की होती हैं एक मन की बात और दूसरी काम की बात। जब मन की बात होती है तो काम की बात नहीं होती है। जब काम की बात होती है तो कोई बात नहीं होती सिर्फ काम होता है।

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